भोपाल : 02/03/2024 : कर्मकार मंडल में जिंदा लोगों को मृत बताकर ज़ोन के अधिकारियों द्वारा 2-2 लाख रु. का घोटाला उजागर होने के बाद शुरुआत में जहां निगम के अफसरों ने जांच के नाम पर लापरवाही की, वहीं श्रम विभाग के अधिकारी भी उसी रास्ते पर चलने लगे | निगम की जांच समिति ने 118 संदिग्ध फाइलों की खोजबीन में उन्हीं जेडओ को लगा दिया जिनके डिजिटल साइन से फर्जी खातों में रुपए डाले गए | श्रम विभाग के अफसरों का कहना है कि उनके रिकॉर्ड में तो निगम कमिश्नर ही सभी भुगतानों के लिए जिम्मेदार है | इसी को देखते हुए श्रम विभाग में जिला कलेक्टर और संभागायुक्त को पूरे घोटाले की जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे | गौरतलब है कि श्रम विभाग के निर्देशानुसार कलेक्टर ने भी निगम कमिश्नर को ही जांच कराने के लिए निर्देश दे रखे हैं | अब सवाल यह उठता है कि जब श्रम विभाग के रिकॉर्ड में निगम कमिश्नर ही जिम्मेदार हैं, तो ऐसे में उनकी वर्तमान या पूर्व जांच कौन करेगा ? इतना ही नहीं उनके अधिनस्थ ज़ोन के अधिकारियों के खिलाफ भी निष्पक्ष जांच हो रही है या नहीं इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं | सीधे कहें तो घोटाले के असली दोषी जेडओ और जिम्मेदार निगम कमिश्नर की मदद लेकर ही जांच कराई जा रही है | तो वह कितनी सही होगी समझा जा सकता है | लेकिन अभी तक तो नगर निगम की जांच ही पूरी नहीं हो पाई है | जबकि 15 दिन का समय जांच रिपोर्ट पेश करने का दिया गया था | खुद निगम कमिश्नर ने 15 दिन के अंदर जांच पूरी कर दोषियों पर कार्रवाई करने का दावा किया था | लेकिन अब तक इन दोषियों पर कार्रवाई तो दूर नगर-निगम की जांच ही पूरी नहीं हो पाई है |
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