इंदौर : 04/03/2024 : प्रदेश में गर्भवती महिलाओं की मौत पर जब अस्पतालों का प्रशिक्षण किया गया तो सामने आया कि सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं ने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भेजने के दौरान हुई देरी के कारण दम तोड़ा है | भोपाल में पिछले दिनों आईएएस अफसर के ड्राइवर की गर्भवती पत्नी को भी दूसरे अस्पताल रैफर किया गया तो एंबुलेंस आने में देरी हुई उसके बाद जैसे तैसे एंबुलेंस आई तो उसमें ऑक्सीज़न नहीं था जिसके चलते महिला अस्पताल ले जाते जाते मौत के करीब जा रही थी | सरकारी सिस्टम की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला ने बच्चे को जन्म देने के बाद दम तोड़ दिया | उसके बाद मामला हाई प्रोफाइल जांच में लिया गया | जब इस संबंध में जांच की गई तो स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में एक साल के भीतर 860 गर्भवतियों ने दम तोड़ा है | इंदौर में ऐसे 94 मौत के मामले सामने आए हैं, इन्हें दूसरे अस्पतालों में रैफर किया गया था | इनका रिव्यू तो हुआ लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई | क्योंकि विभाग के पास कार्रवाई के अधिकार ही नहीं हैं | इंदौर जिले के पीसी सेठी अस्पताल की ही बात ले लीजिए यहां से हर माह औसतन 50 से 55 केस एमटीएच रैफर हो रहे हैं | जिले के अन्य अस्पतालों में भी 200 से अधिक केस रैफर होकर आ रहे हैं | अधीक्षक ने कई बार सीएमएचओ को इस बारे में बताया लेकिन कोई सुधार नहीं हुए | इंदौर के सरकारी व निजी अस्पतालों में सालाना 80 हज़ार से अधिक प्रसूतियां हो रही हैं, इनमें 100 से अधिक गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर है | स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों से जानकारी मंगवाता है, रिव्यू भी होता है लेकिन आज तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई |
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