भोपाल : 04/03/2024 : शहर में 800 किमी सीवेज लाइन बिछाई गई है, जिसमें 25 हज़ार से अधिक चैंबर बनाए गए हैं | इनमें से लगभग 6 हज़ार चैंबर खुले पड़े हैं | एक चैंबर की गहराई 4 से 20 फीट तक के करीब होती है, इन खुले चैम्बरों से लोगों के साथ साथ जानवरों को भी खतरा है | इन चैम्बरों के आसपास किसी प्रकार की बेरिकेडिंग नहीं होने से अक्सर लोग बाइक से या पैदल यहां से गुजरते समय हादसों का शिकार भी हो जाते हैं | जिसको लेकर नगर-निगम में हर महीने 1 हज़ार शिकायतें पहुँच रही हैं लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है | अल्पना तिराहे से भोपाल स्टेशन मुड़ते ही बीच सड़क पर चैंबर खुला हुआ है, चैंबर के ऊपर पुलिस ने एक बेरिकेड लगा दिया है जिससे हादसा होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है | एमपी नगर ज़ोन – 1 में अंडर ब्रिज के पास चैंबर खुला पड़ा है, जिससे हादसा होने का डर बना रहता है | रात के समय अंधेरा होने से यहां अक्सर लोग खुले चैंबर के कारण घायल हो जाते हैं | इसी से थोड़ी दूरी पर सीवेज टैंक भी ऊपर से टूटने के कारण खुला हुआ है, इससे भी यहां से गुजरने वाले लोगों को खतरे का डर रहता है | इसी तरह पॉलिटेक्निक चौराहे से बाणगंगा तक सड़क के दोनों और 50 से अधिक डक्ट खुले पड़े हैं | कई बार लोग इन खुले डक्ट में फंसकर घायल हो चुके हैं | इसके बावजूद भी इन्हें सुधारा नहीं जा रहा | ऐसे में जिम्मेदार एजेंसियों को रेगुलर निरीक्षण करना चाहिए और जो भी चैंबर खुले पड़े हैं, उन पर दोबारा से ढक्कन लगाए जाना चाहिए | ढक्कनों की कमी न हो इसलिए जिम्मेदार एजेंसी को ढक्कन स्टॉक में रखना चाहिए | जिससे टूट चुके ढक्कन को तुरंत बदला जा सके | इसके साथ ही स्पॉट पर लाइट का इंतेजाम किया जाए और बोर्ड लगाकर बताया जाना चाहिए कि आगे चैंबर खुला है, या उसके चारों तरफ बेरिकेडिंग करना चाहिए |
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