नई दिल्ली : 05/03/2024 : सुप्रीम कोर्ट ने सांसदो – विधायकों के सदन में भ्रष्टाचार पर मिले विशेषाधिकार का कवच तोड़ दिया है, सीजेआई की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसले में कहा यदि कोई सांसद या विधायक रिश्वत लेकर सदन में भाषण या वोट देता है तो उसके खिलाफ कोर्ट में क्रमिनल केस चल सकेगा | रिश्वत लेना संसद या विधानसभाओं के विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आता | सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसी विशेषाधिकार को लेकर 1998 में दिए फैसले को भी पलट दिया | उन्होने कहा कि 5 सदस्यीय संविधान पीठ का वो फ़ैसला अनुच्छेद 105 व 194 का भी विरोधाभासी है | इन अनुच्छेद के सहारे सांसद विधायक सदन में कही किसी बात या वोट के लिए कोर्ट में जवाबदेह नहीं बनाए जा सकते हैं | लेकिन इससे उन्हें रिश्वतख़ोरी की छूट नहीं मिलती | विशेषाधिकार के मामले में एक रोचक बात यह है कि 1998 के मामले में झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन मुख्य आरोपी थे | तब संविधान पीठ के फैसले के बाद वे कानूनी कार्रवाई से बच गए थे | जबकि 26 साल बाद उनकी बहू सीता सोरेन रिश्वत के वैसे ही मामले में घिर गईं हैं | कानूनी कार्रवाई से बचने का उनका विशेषाधिकार पीठ ने खत्म कर दिया है | सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उनके खिलाफ सीबीआई जांच फिर शुरू हो सकती है |
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