भोपाल : 15/03/2024 : राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार होने वाले हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग 728 करोड़ रु. की लागत से बना तो दी, लेकिन यहां व्यवस्थाएं अब भी नहीं सुधरी | अब भी यहां आने वाले लोगों को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है | क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि कौन सा विभाग कहां है | बाहर से आने वाले मरीज भी डॉक्टर, विभाग और जांच को लेकर पूछताछ करते हैं | इस अस्पताल में 13 सोशल वर्कर हैं, लेकिन ड्यूटी पर कोई नहीं मिलता बताया गया है कि इनकी ड्यूटी कहीं ओर लगा दी गई है | हेल्प डेस्क पर इनके नंबर तक उपलब्ध नहीं हैं, नतीजतन यहां आने वाले मरीजों को खुद ही स्ट्रेचर खींचना पड़ता है | हमीदिया अस्पताल आए माणिकराम के पेट में सूजन थी और वह दर्द से तड़प रहा था | माणिकराम की पत्नी रीना बाई ने बताया कि पति को खुद स्ट्रेचर से खींचकर लेकर गई, हेल्प डेस्क पर कोई नहीं मिला तो एक नर्स से डॉक्टर के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वे तीसरी मंजिल पर मिलेंगे | इसके बाद रीना और उसका देवर अस्पताल में डॉक्टर को ढूंढते हुए लिफ्ट की तलाश में अस्पताल के एक कोने से दूसरे कोने तक स्ट्रेचर खींचते रहे | इस दौरान माणिकराम को अस्पताल में मौजूद कुछ लोगों ने लिफ्ट तक पहुंचाया | थर्ड फ्लोर पर पहुँचने के करीब आधा घंटे बाद उनका इलाज शुरू हो सका |
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