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बाबा रामदेव पर लहराया संकट कोर्ट में झूठ बोलने झूठे सबूत पेश करने और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने वाले रामदेव पर चलेगा जालसाजी का केस |

नई दिल्ली : गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाए थे कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही है | इतना ही नहीं 2020 में पतंजलि ने विज्ञापन दिया था कि उसने ऐसे उत्पाद विकसित किए हैं जो कोविड को 100 फीसदी ठीक कर सकते हैं | पतंजलि ने कोविड -19 को लेकर भी झूठा कैंपेन चलाया था | इसके बाद पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई थी, बावजूद इसके विज्ञापनों को प्रसारित करने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश हुए योग गुरु रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई | इन दोनों की बिना शर्त माफी को जुबानी दिखावा बताकर खारिज कर दिया | कोर्ट ने दो टूक कहा कि आपने कोर्ट में झूठ बोला, कोर्ट के दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया, झूठी अंडरटेकिंग दी, आपने हर सीमा लांघी है, कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को चेतावनी दी कि आपने झूठे सबूत पेश किए और कुछ दस्तावेज बाद में जोड़े इसलिए आप पर जालसाजी के आरोप लगेंगे | सभी परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें | सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि कोविड के दौरान पतंजलि के झूठे दावों के खिलाफ केंद्र ने कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की ? जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगता है पतंजलि को लेकर सरकार ने आंखे मूंद रखी हैं | केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि कोविड के दौरान आपकी ही समिति ने सिफ़ारिश की थी कि पतंजलि के उत्पाद में उसके दावों के समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं हैं, यह अन्य दवा के पूरक के रूप में काम करती है | केंद्र ने इस बात को प्रचारित करने के लिए क्या किया ? मेहता ने कहा कि चेतावनी जारी की थी, तो जस्टिस कोहली बोले चेतावनी पर्याप्त नहीं था | अनुपालन न करने पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए थी | कोर्ट ने कार्रवाई के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार के विभाग को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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