भोपाल : 24/04/2024 : देशभर में पहली बार ऐसा हुआ है जब टीबी की दवाएं खत्म हो गई हैं, जिससे करीब 60 हज़ार से अधिक लोगों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं | मप्र में टीबी की दवाएं सरकारी अस्पतालों में करीब तीन महीने से नहीं आई हैं, राज्य के अफसरों का कहना है कि केंद्र सरकार से ही दवाएं उनके पास सप्लाई नहीं हुई हैं | दवा नहीं मिलने पर राज्य ने मप्र हेल्थ कॉर्पोरेशन के माध्यम से दवाओं के लिए वर्कऑर्डर जारी किया है | टीबी की दवा वाली 20 हज़ार स्ट्रिप मुंबई से मंगवाई हैं, जो भोपाल पहुँच गई हैं | राज्य टीबी अधिकारी के अनुसार पहली बार जेम पोर्टल से टीबी की दवाओं की लोकल पर्चेस करने के लिए कहा गया है | भारत में टीबी दवाओं के निर्माता सिर्फ 4 हैं, लेकिन उनके पास भी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक खत्म हो गया है | कई राज्यों ने कंपनियों से संपर्क किया तो कंपनियों के पास भी टीबी की दवाओं का पर्याप्त स्टॉक नहीं था, जिससे राज्य टीबी की दवाएं खरीदने में असफल रहे | महाराष्ट्र सरकार ने 1.6 करोड़ रु. का विशेष बजट स्वीकृत किया, पर उसे टीबी की दवा सप्लाई करने वाला थोक विक्रेता नहीं मिल पाया | टीबी के मरीजों को चार दवाओं की निश्चित खुराक 4 एफडीसी, और 3 एफडीसी दी जाती है, जिसमें आइसोनियाजिड, रिफैम्पिसिन, एथमबुटोल, पाइराजिनामाइड निश्चित खुराक कॉम्बिनेशन के रूप में उपयोग होती है | लेकिन प्रदेश के 95% सरकारी अस्पतालों में ये दवाएं भी नहीं है | टीबी अस्पताल पहुंचे लोगों को पर्चे पर जो दवाएं लिखकर दी जा रही हैं, वह बच्चों को दी जाने वाली दवाएं हैं जिसका ओवरडोज़ लेने की सलाह दी जा रही है |
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