भोपाल : 26/04/2024 : राजधानी का बड़ा तालाब विश्वभर में रामसर साइट के नाम से जाना जाता है | दुनिया के लिए यह किसी विरासत से कम नहीं है इसमें जहां कई तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं, वहीं यह 100 से अधिक जीव जंतुओं का ठिकाना भी है | इनमें कई तरह की दुर्लभ प्रजातियां भी शामिल हैं | इसके अलावा हर साल 20 हज़ार प्रवासी पक्षी तालाब किनारे पर देखे जाते हैं | आधे शहर के लिए तो मीठे पानी का यह सबसे बड़ा स्त्रोत है | बावजूद इसके यहां की आर्द्र भूमि (वेटलैंड) को लगातार अनदेखा किया जा रहा है | किनारों से वेटलैंड तेज़ी से खत्म होता जा रहा है | कहीं वेटलैंड एरिया में ही निजी निर्माण किए जा रहे हैं, तो कहीं खुद जिम्मेदार एजेंसियां ही इसे खत्म कर रही हैं | सीधे कहें तो बीते एक दशक से तालाब के संरक्षण के प्रति जितनी उपेक्षा और लापरवाही हमारी सरकार, प्रशासन सहित अन्य सरकारी एजेंसियों ने बरती है उससे तालाब को खासा नुकसान हुआ है | यह हाल तब है जब बड़े तालाब पर वेटलैंड रूल 2017 लागू है, जिम्मेदार अफसरों की मनमानी को इस बात से भी समझा जा सकता है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा तालाब के संरक्षण के लिए अब तक जारी आदेशों में एक भी ऐसा नहीं है जिस पर पूरी तरह अमल किया गया हो | गौर करने वाली बात यह है कि बड़े तालाब के किनारों को खुद जिम्मेदार अफसर ही खत्म करते जा रहे हैं, जिसे लेकर शासन स्तर से कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है |
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