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ऑनलाइन फ्रॉड का ग्राफ बढ़ा जालसाजों को पकड़ना हुआ मुश्किल, जब तक कॉल डिटेल निकलती है ठग नंबर बदल लेते हैं जानकारी मिलने तक पहुँच जाते हैं विदेश |

भोपाल : 01/05/2024 : राजधानी सहित सभी शहरों में ऑनलाइन फ्रॉड अपने पैर पसार रहा है | जालसाज दूसरे शहरों में बैठकर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं | जालसाज ऑनलाइन नौकरी दिलवाने, लोन पास कराने और लकी ड्रा जैसे नए नए तरीकों से लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं | लोगों को सतर्क करने के बावजूद भी वह ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं | साल दर साल ऑनलाइन ठगी का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है | इन जालसाजों को पकड़ना पुलिस के लिए भी मुश्किल होता जा रहा है इसका कारण है कि पुलिस को कॉल डिटेल निकलवाने में लगभग 24 घंटे का समय लगता है और जब तक कॉल डिटेल निकलती है ये जालसाज अपना नंबर बदल लेते हैं | जब तक इन ठगों की जानकारी पुलिस निकालती है तब तक यह दूसरे देशों में चले जाते हैं | जिन बैंक खातों में ग्राहकों के पैसे ट्रांसफर होते हैं, वह भी अन्य व्यक्ति के नाम पर होते हैं | एक समस्या ये भी है कि आईटी एक्ट में सब इंस्पेक्टर को विवेचना अधिकारी नहीं बना सकते जबकि जांच में सबसे अधिक योगदान वही देते हैं | साइबर सेल में फोर्स की कमी के कारण भी इन जालसाजों तक जल्दी नहीं पहुंचा जा सकता | क्योंकि ये दूसरे प्रदेश या देश में बैठकर वारदात को अंजाम देते हैं | बैंकों और टेलिकॉम कंपनियों से भी पुलिस को समय पर जानकारी और सहयोग नहीं मिलता है | तब तक जालसाजों द्वारा ठगी की राशि खातों से निकाल ली जाती है | ये राशि क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भारत के बाहर भेज दी जाती है, क्रिप्टो करेंसी के अकाउंट्स, वॉलेट की जानकारी या तो मिल ही नहीं पाती या फिर जानकारी मिलने में 15 दिन तक लग जाते हैं | इससे राशि रिफ़ंड हो पाना असंभव हो जाता है | भारत में साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए कानूनी उपायों, तकनीकी समाधानों के साथ बहुआयामी कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है | साइबर अपराधों को जन-सामान्य तक उनकी भाषा में ऑडियो –विजुअल माध्यमों से पहुंचाना जरूरी है |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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