भोपाल : 02/05/2024 : एम्स भोपाल ने सीहोर के एक गर्ल्स स्कूल में विशेष जांच शिविर का आयोजान किया, जिसमें बताया गया कि हर व्यक्ति के खून में आरबीसी (लाल रक्त कोशिकाएं) पाई जाती हैं | जो गोल, लचीली और नर्म होती हैं | सिक़ल सेल बीमारी से पीड़ित होने पर इनका आकार अंग्रेजी के सी अक्षर जैसा हो जाता है | जिससे यह धमनियों में खून के फ़्लो को बाधित करती है जिससे लाल रक्त कोशिकाएं कम होने लगती हैं | समस्या बढ़ने पर शरीर के अंग को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीज़न नहीं मिलती जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है | इसी बीमारी को लेकर स्कूल में काउंसलिंग सेशन आयोजित किया गया | साथ ही 458 छात्राओं की सिक़ल सेल की जांच की गई जिसमें 2 छात्राओं में यह बीमरी पाई गई और 62 में इसके जींस मिले हैं | विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसी बच्चे के माता-पिता में यह बीमारी होती है तो उनमें इस बीमारी होने की आशंका अधिक होती है | ऐसे में काउंसलिंग के ज़रिए छात्राओं के माता-पिता को बताया गया कि अगर उनकी शादी किसी ऐसे लड़के से की जाएगी जिसे सिक़ल सेल के जीन है तो बच्चे इस बीमारी से ग्रसित पैदा होंगे | इस बीमारी के लक्षण और इससे निपटने के उपाय भी बताए गए | सिक़ल सेल के लक्षण हैं खून की कमी, फेफड़े, दिल, आंखो, हड्डियों और मस्तिष्क पर प्रभाव, शरीर का पूरा विकास न होना, छाती में इन्फेक्शन, जोड़ों में दर्द, बुखार आना | इससे बचाव के लिए रोजाना फॉलिक एसिड की गोली लें, मादक पदार्थों से बचें, संतुलित आहार लें, उल्टी दस्त लगने पर डॉक्टर से संपर्क करें, हर 3 महीने में हीमोग्लोबिन और श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच करवाए | एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह के अनुसार एम्स लगातार आयोजन करता रहेगा, जिससे दूर दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने व लोगों को जागरूक कर बीमारी की रोकथाम की जा सके |
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