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दो साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई आत्महत्या रोकथाम नीति अब तक नहीं हुई लागू, नतीजतन दो साल में आत्महत्या के केस 3.5% बढ़े |

भोपाल/इंदौर : 25/6/2024 : अगस्त 2022 में तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने सुसाइड प्रिवेंशन पॉलिसी लाने की घोषणा की थी, मंत्री ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड के ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि 2019 के मुक़ाबले 2020 में आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ी है इसलिए ऐसी पॉलिसी ज़रूरी है | इसे दो तीन महीने में लागू करने और इसमें आत्महत्या के सभी कारणों जैसे, आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक का विश्लेषण करने की भी बात की गई थी | इसके लिए टास्क फोर्स बनाई थी, जिसमें प्रदेश के मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया था | इस नीति के तहत 2030 तक आत्महत्या की घटनाओं में 10 फीसदी तक की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया था | लेकिन न तो यह नीति आई और न ही आत्महत्याओं में कमी आई बल्कि करीब दो साल में आत्महत्या की घटनाएं और अधिक बढ़ी हैं | भोपाल शहर में हर दिन औसतन 48 आत्महत्याओं के मामले सामने आ रहे हैं | इसमें पुरुषों की संख्या अधिक है | आत्महत्या के पीछे सबसे बड़ा कारण पारिवारिक विवाद सामने आया है | एनसीआरबी की रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि शादीशुदा व्यक्ति अधिक आत्महत्या कर रहे हैं | इनकी दर करीब 70 फीसदी है, इसमें से भी करीब 70 फीसदी संख्या शादीशुदा पुरुष और 30 फीसदी शादीशुदा महिलाओं की है | अविवाहित लोगों में आत्महत्या की दर करीब 25 फीसदी है, बाकी पांच फीसदी में विधवा, तलाक़शुदा और अलग हुए लोग हैं | नाबालिगों में आत्महत्या के बढ़ते हुए मामले चिंताजनक हैं | दरअसल बच्चे समय से पहले परिपक्व हो रहे हैं, जिन चीजों की समझ उन्हें नहीं होना चाहिए, वे चीजें भी सोशल मीडिया के जरिये उन तक उपलब्ध हैं | आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए दो साल पहले जो नीति बनाई गई थी वह शायद अब कागजों तक ही सीमित रहेगी इसके क्रियान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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