भोपाल : 01/07/2024 : कर्मकार मंडल में नगर-निगम की लूट सामने आने के बाद से ही मामला जांच में चल रहा था इस मामले में जिंदा मजदूरों को मृत बताकर उन्हें मिलने वाली 2-2 लाख रु. की राशि दूसरे खातों में डाल दी गई थी | फर्जी भुगतान के करीब 41 मामले सामने आए थे | कर्मकार मंडल में ये धांधलाई सालों से चल रही है | कुछ महीने पहले इस मामले में 118 संदिग्ध फाइलों की जांच करके जिंदा मजदूरों के नाम पर 2-2 लाख रु. का भुगतान कराने वालों का भंडाफोड़ किया था, लेकिन इससे एक साल पहले सामने आईं 90 फाइलों को देखा तक नहीं | जबकि अफसरों को इन्हीं फाइलों की प्रारंभिक जांच में कई बड़ी गड़बड़ियां नज़र आईं थीं | इनमें सबसे अधिक तत्कालीन ज़ोनल अधिकारी ज़ोन 16 राजेंद्र अहिरवार के ज़ोन की थी जो कि रात 11 बजे अपलोड होना सामने आया था | इसके बाद भी अफसरों ने अहिरवार को मामूली नोटिस देकर मुख्यालय अटैच करके छोड़ दिया था | फर्जी खातों में हुए भुगतान के 41 मामलों में तो निगम अफसरों ने 84 लाख रु. की वसूली कर ली है लेकिन इन 63 फाइलों की जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है | दरअसल 2 लाख रु. पाने वाले असली हितग्राही थे ही नहीं इसलिए ऐसे अधिकांश फर्जी खाताधारकों को कानूनी कार्यवाही का हवाला देकर वसूली कराई जा रही थी | 118 संदिग्ध मामलों में 88 प्रकरण ऐसे थे जिनमें फर्जी भुगतान हुआ था | फर्जी प्रकरणों की 46% राशि वापस कराई जा चुकी है | फर्जीवाड़ा करने वाले ज़ोन-3 के तत्कालीन ज़ोनल अधिकारी अनिल शर्मा के 13 प्रकरणों में सबसे अधिक 26.54 लाख रु. की वसूली हुई है | वहीं ज़ोन -11 के तत्कालीन ज़ेडओ अवधनारायण मकोरिया के 9 प्रकरणों में 18.54 लाख रु.की वसूली हुई है | 7 प्रकरणों में 14 लाख रु. से अधिक की वसूली के साथ ज़ोन-17 के तत्कालीन जोनल अधिकारी मृणाल खरे तीसरे स्थान पर हैं | ज़ोन-9 के तत्कालीन ज़ेडओ अभिषेक श्रीवास्तव के 3 प्रकरणों में 6 लाख रु. से अधिक की वसूली की गई है | इसी तरह ज़ोन-14 के तत्कालीन जेडओ सत्यप्रकाश बड़गैया से 16.48 लाख रु. और ज़ोन -4 के तत्कालीन ज़ोनल अधिकारी परितोष रंजन परसाई के एक प्रकरण में 2 लाख रु. से अधिक की वसूली की गई है | ज़ोन के अधिकारियों और वार्ड प्रभारियों द्वारा की गई बड़ी लापरवाही प्रमाणित करने वाले निगम अधिकारियों का कहना है कि वे तो अपनी जांच रिपोर्ट में पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि ज़ोन स्तर पर तैनात अधिकारी - कर्मचारियों ने किस तरह गलत तरीके अपनाकर फर्जी खातों में 2-2 लाख रु. का भुगतान किया था | अब असली हितग्राही क्राइम ब्रांच से मदद की गुहार लगा रहे हैं |
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