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बिना चौराहे वाले रास्तों पर सिग्नल सिस्टम लगाकर खुलेआम जनता के पैसों की बर्बादी कर रहे अफसर |

भोपाल : 19/07/2024 : जिन चौराहों से बिना ज़रूरत के सिग्नल सिस्टम हटाए गए थे अब उन्हीं चौराहों पर फिर से 25 25 लाख रु. खर्च करके सिग्नल सिस्टम लगाने की कवायद की जा रही है | ट्रैफिक पुलिस की डिमांड पर बीआरटीएस के 8 से अधिक चौराहों से हटाए गए ट्रैफिक सिग्नल स्मार्ट सिटी फिर लगाने जा रही है | ये वही चौराहे हैं जहां बीआरटीएस संचालन के समय कभी सिग्नल का उपयोग ही नहीं हुआ | ये सिग्नल हमेशा ही सिंगल ब्लिंकर (ऑरेंज लाइट) पर ही रहे | ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि ट्रैफिक व्यवस्थित करने के नाम पर केवल ब्लिंकर का ही उपयोग करना है तो चौराहों पर सिग्नल सिस्टम लगाने का क्या फायदा | वर्तमान में शहर के 58 चौराहों पर सिग्नल के ज़रिए ट्रैफिक कंट्रोल किया जा रहा है | इनमें भी करीब 12 से अधिक चौराहे ऐसे हैं जहां सिग्नल सिस्टम का उपयोग महज ब्लिंकर मोड पर है | स्मार्ट सिटी कंपनी सिर्फ तकनीकी मदद के लिए चौराहों पर सिग्नल लगाती है, जो पूरी तरह ट्रैफिक पुलिस के निर्देश पर संचालित होते हैं | इस बारे में ट्रैफिक पुलिस के अफसरों का कहना है कि सिग्नल सिस्टम कितना महंगा है इससे हमें कोई लेना देना नहीं लेकिन यदि किसी चौराहे पर सिर्फ ब्लिंकर का उपयोग होने से जनता के पैसों की बर्बादी होती है तो इसके लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों को ट्रैफिक पुलिस के साथ मीटिंग करनी चाहिए | गौरतलब है कि दोनों ही एजेंसियां कहने को तो अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं, लेकिन इनमें आपसी समन्वय नहीं है जिसका फायदा निजी कंपनी उठा रही है |    

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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