भोपाल : 10/08/2024 : घटना 4 जून 2015 की है जब टीला जमालपुरा में रहने वाले 28 साल के मोहसिन को क्राइम ब्रांच ने लूट के मामले में गिरफ्तार कर जेल में डाला था | 19 दिन पुलिस और जेल अभिरक्षा में रहने के बाद मोहसिन की संदिग्ध मौत हो गई थी | उसकी मां सीमा ने पुलिस और जेल प्रहरियों पर पिटाई और हत्या का आरोप लगाया था | मामला अदालत तक पहुंचा, इसमें 2015 से अब तक तीन बार न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हत्या एवं सबूत मिटाने का मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन तीन बार सेशन कोर्ट ने लोअर कोर्ट में पुनः आदेश के लिए भेजा था | कोर्ट ने जेल से घटना वाले दिन के सीसीटीवी फुटेज मांगे तो जेल अधिकारियों ने यह लिखकर दिया कि फुटेज डिलीट हो गए | इस पर कोर्ट ने कहा कि यह अहम सबूत था इसे डिलीट कैसे कर दिया और सबूत मिटाने का मामला दर्ज किया | कोर्ट ने काटजू अस्पताल के डॉक्टर के संबंध में भी लिखा कि उन्होने बंदी को बिना देखे ही एमएलसी में लिख दिया कि कोई चोट नहीं है, जबकि जेल प्रवेश रजिस्टर में चोटों का उल्लेख है | कोर्ट ने माना कि मोहसिन के साथ अभिरक्षा में मारपीट की गई, मारपीट से जब उसकी मौत हो गई तो उसे मानसिक रोग अस्पताल भेजा गया पर अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया | लेकिन आखिरकार आरोपियों की सच्चाई सामने आ ही गई और अब न्यायिक मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा ने तत्कालीन टीटी नगर थाना प्रभारी मनीष राज भदौरिया, एसआई डीएल यादव, एहसान, मुरली, चिरोंजीलाल, आलोक बाजपेयी सहित 8 लोगों के खिलाफ कोर्ट ने हत्या, सबूत मिटाने और साजिश रचने का प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए हैं | कोर्ट ने कहा कि ज्यूडिशियल कस्टडी में मौत होना समाज में गहरा धब्बा है |
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