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प्रदेश के आईएएस और आईएफएस अफसरों के बीच की टकराहट अब पहुंची सुप्रीम कोर्ट |

भोपाल : 12/08/2024 :   दिल्ली के एक वकील ने मप्र सरकार के 29 जून 2024 के आईएफएस अफसरों की एनुअल अप्रैजल रिपोर्ट लिखने की प्रक्रिया में संशोधन के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें मप्र के जंगल और पर्यावरण को बड़े नुकसान का अंदेशा जाहिर किया गया है | याचिकाकर्ता का नाम गौरव कुमार बंसल है, जिन्होने याचिका में मप्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के टीएन गोदावर्मन केस में दिए फैसले का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है | याचिका में एपीआर लिखने के फैसले के पीछे वन भूमि के प्रति किसी दुर्भावना की आशंका जताई गई है | याचिका में कहा गया है कि राजस्व जैसे विभागों के अधिकारियों को वन अधिकारियों का मूल्यांकन करने की अनुमति देकर वन, वन्य प्राणी और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को झटका लगेगा | पिछले कुछ सालों में मप्र में बड़े पैमाने पर वन भूमि पर अतिक्रमण बढ़े हैं, उद्दोगों और व्यावसायिक लाभ के लिए प्रभावशाली लोगों ने वनों को नुकसान पहुंचाया है | आईएएस अफसरों का फोकस वनों की सुरक्षा पर होता है, जबकि आईएफएस अफसरों का फोकस राजस्व और प्रशासन पर होता है | दोनों के काम और उद्देश्यों में अंतर है, वहीं मप्र आईएफएस एसोसिएशन का कहना है कि हमें इस याचिका के बारे में कोई जानकारी नहीं है, हम अभी तक कोर्ट नहीं गए हैं | आईएफएस एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएस अन्निगेरी का कहना है कि उन्होने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष अपना रिप्रजेंटेशन दिया है, इसका जवाब आने के बाद ही आगे कदम उठाएंगे |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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