भोपाल : 31/08/2024 : शहर के बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार होने वाले हमीदिया, जेपी, एम्स में भी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं, इन अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर महज दिखावा किया जा रहा है | हमीदिया अस्पताल में रेड कार्ड से एंट्री देने की व्यवस्था की गई है लेकिन लोग बिना कार्ड के ही अस्पताल में दाखिल हो रहे हैं | रोज 2500 मरीजों की ओपीडी है, ऐसे में दो परिजन के साथ रोज आने जाने वाले लोगों की संख्या 7500 के आसपास है | एक शिफ्ट में बमुश्किल 100 गार्ड रहते हैं, इनमें 40% महिलाएं हैं, जिनसे लोग डरते ही नहीं हैं, पुलिस चौकी भी नहीं है | जेपी अस्पताल में आने के लिए 11 रास्ते हैं, गेट पर एक गार्ड भी लगाए तो तीन शिफ्ट में 33 गार्ड चाहिए, लेकिन यहां कुल 14 गार्ड ही हैं | कलेक्टर के निरीक्षण के बाद 30 नए गार्ड देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, तकरीबन 1500 मरीज रोज ओपीडी में आते हैं, परिजनों को जोड़कर इनकी संख्या करीब 4 हज़ार होती है | बावजूद इसके सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त नहीं है यहां डार्क स्पॉट भी काफी हैं, जहां से होकर महिला डॉक्टर भी रात में गुजरती हैं इसी तरह एम्स में भी रोजाना 5 हज़ार लोग इलाज कराने आते हैं, यहां 543 गार्ड हैं, इनमें से 432 पुरुष और 90 महिलाएं हैं | 18 सुपरवाइज़र और 3 गनमैन हैं | एक शिफ्ट में 100 गार्ड ही रहते हैं, हालांकि डायरेक्टर पहले कह चुके हैं कि यहां डॉक्टर्स के लिए पैनिक बटन लगाए जाएंगे, लेकिन अब तक नहीं लगाए गए | डॉक्टर्स के लिए अलग से यहां रेस्ट रूम भी नहीं है, कई कॉरीडोर में रात में अंधेरा पसरा रहता है जिससे महिला स्टाफ या मरीजों के साथ रुकने वाली महिलाओं के लिए खतरा बना हुआ है | कोलकाता दुष्कर्म कांड के बाद इन सभी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने की बात कही गई थी, लेकिन घटना के 21 दिन गुजर जाने के बाद भी अब तक व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पाई हैं |
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