भोपाल : 05/09/2024 :( नुजहत सुल्तान) गौरतलब है कि हमीदिया अस्पताल में कुल 11 डायलिसिस यूनिट हैं, इनमें से छह बंद पड़ी हुई हैं | नतीजतन इमरजेंसी में मरीजों को बाहर डायलिसिस करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है | इतना ही नहीं जो 5 मशीनें चालू हैं, वे भी 2012 में खरीदी गई थीं, इसलिए खराब मशीनों को सुधारने के लिए हाइट्स कंपनी ने जो पार्ट्स मंगवाए हैं, वे स्थानीय स्तर पर नहीं मिल पा रहे हैं | हमीदिया प्रबंधन ने सरकार से एक साल पहले नई डायलिसिस मशीनें भी मांगी हैं, जो अब तक मिल नहीं पाई हैं | इसके कारण हमीदिया अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों को डायलिसिस की सुविधा नहीं मिल पा रही है | राजधानी के एक अस्पताल में कैंसर का इलाज करा रहीं 49 वर्षीय द्रोपदी बाई को अचानक डायलिसिस की आवश्यकता पड़ी जिसके लिए उन्हें हमीदिया रेफर किया गया | हमीदिया पहुँचने पर पता चला कि यहां डायलिसिस की मशीनें खराब हैं | यहां अभी डायलिसिस नहीं हो पाएगा महिला को बाहर कहीं डायलिसिस कराने की सलाह दी गई | गौरतलब ही कि निजी अस्पताल में एक बार डायलिसिस कराने में करीब 2 हज़ार रु. खर्च आता है | हमीदिया में भोपाल ही नहीं आसपास के जिलों के मरीज भी डायलिसिस कराने आते हैं बिस्तर उपलब्ध नहीं होने से उन्हें एक दो दिन बाद आने को कहा जाता है | ऐसे में कई बार वह निजी अस्पतालों में जाते हैं, आयुष्मान भारत योजना में डायलिसिस के शामिल होने के कारण अब कुछ मरीज निजी अस्पतालों में भी जाने लगे हैं जिससे हमीदिया और जेपी अस्पताल में दबाव कम हुआ है, जेपी अस्पताल में भी डायलिसिस की महज आठ मशीनें ही हैं |
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