भोपाल : 18/09/2024 :( नुजहत सुल्तान) गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) का ऑटोनोमस बजट करीब 20 करोड़ रु. होता है, जो स्टूडेंट्स की फीस और ओपीडी –आईपीडी शुल्क से आता है, लेकिन अब ये ऑटोनोमस बजट खत्म होने की कगार पर आ गया है | दरअसल जीएमसी प्रबंधन ने कर्मचारियों का पीएफ जमा नहीं किया था, जिस कारण ईपीएफओ ने जीएमसी के अकाउंट से पीएफ के 3 करोड़ रु. काट लिए हैं अब जीएमसी के पास महज 25 लाख के आसपास का बजट रह गया | नतीजा यह हुआ कि डॉक्टरों की सुरक्षा के मद्देनजर कैंपस में जो कैमरे और लाइट्स लगाई जानी थीं, उनके लिए बजट भी शासन से मांगना पड़ रहा है | दरअसल, यह राशि दवाओं और जरूरी उपकरणों व हॉस्टल के मेंटेनेंस सहित छात्रों की सुरक्षा और सुविधा पर खर्च किए जाने का नियम है मरीजों के लिए जरूरी सामग्री देना भी मुश्किल हो रहा है | जीएमसी की खुद की आय बहुत कम है, नतीजतन बॉन्ड मनी को ही खर्च किया जा रहा है | आय कम होने का एक कारण यह भी है कि पीजी छात्रों की हॉस्टल लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई | प्राइवेट नर्सिंग एवं अन्य कॉलेज से प्रशिक्षण के लिए छात्र कम आ रहे हैं | हमीदिया एवं टीबी चिकित्सालय से ओपीडी एवं आईपीडी से सालाना दो करोड़ रु. की आय हो पा रही है | डीन डॉ. कविता एन सिंह का कहना है कि अब ईपीएफ का पैसा नहीं कटेगा | 200 जगह कैमरे लगाए जाने के लिए शासन से 3 करोड़ रु. बजट मांगा है |
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