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बिना गुणवत्ता जांचे ही दवाओं को स्वास्थ्य केन्द्रों और मेडिकल कॉलेजों में भेजकर मरीजों को की जा रहीं वितरित |

भोपाल : 18/09/2024 : प्रदेश में हर साल 500 करोड़ की दवाएं खरीदी जाती हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत ख़रीदारी मप्र पब्लिक हेल्थ कार्पोरेशन द्वारा की जाती है, सरकारी अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति से पहले इन्हें थर्ड पार्टी जांच (एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब) के लिए भेजने का नियम है इसके लिए सैंपल रेंडमली कंप्यूटर से लिया जाता है | लेकिन हकीकत यह है कि इन दवाओं की रिपोर्ट आने में 3-4 महीने की देरी होती है इसके चलते वेंडर की रिपोर्ट पर ही दवाओं का बड़ा हिस्सा उपयोग में आ जाता है | बीते दो माह में ही 13 जीवनरक्षक दवाएं गुणवत्तायुक्त नहीं पाई गईं | बावजूद इसके ये दवाएं राज्य के मेडिकल कॉलेजों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक में मरीजों को मुफ्त में बांटी जा रही हैं जो मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं, लेकिन अधिकारी मरीजों की जान की परवाह किए बिना दवाओं की सप्लाई अस्पतालों में बिना जांच रिपोर्ट आने से पहले ही कर रहे हैं | इस गड़बड़ी पर अभी तक किसी वेंडर के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गई है |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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