भोपाल : 24/09/2024 : 2018 से चल रही सीवेज ट्रीटमेंट की सुनवाई में मप्र सरकार से रिपोर्ट मांगी थी, इस पर शहरी विकास और आवास विभाग, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई | इसमें बताया गया कि 94% जल स्त्रोत में सीवेज ट्रीटमेंट के बाद पानी मिलता है, वहीं 99.06% कचरा प्रबंधन हो रहा है | एनजीटी ने इस रिपोर्ट को क्रास चैक करने के लिए एक कमेटी बनाई इस कमेटी ने सरकार के दावे को सही नहीं पाया | प्रदेश के पांच जिले जबलपुर, रीवा, रतलाम, ग्वालियर और मुरैना में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज ट्रीटमेंट को लेकर गलत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के मामले में एनजीटी की नई दिल्ली की बेंच ने मप्र सरकार को जमकर फटकार लगाई, कोर्ट ने साफ कहा है कि जब सरकार ही गलत आंकड़े प्रस्तुत करेगी तो लोगों के स्वास्थ्य की चिंता कौन करेगा | एनजीटी के जज सुधीर अग्रवाल ने कहा कि सरकार की ओर से सही जानकारी नहीं देना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है, और यह पर्यावरण संरक्षण के नियमों का उल्लंघन है | उन्होने 26 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई में प्रदेश के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर सही और पूरी जानकारी देने के लिए कहा है | न्यायमूर्ति अरुण त्यागी ने भी इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए जो योजनाएं बनाई गई थीं, उनके कार्यान्वयन में न केवल देरी हो रही है बल्कि जानकारी छुपाने की कोशिश भी की जा रही है | इस मामले के एक्सपर्ट सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल ने कहा कि यदि समय पर ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन नहीं किया जाता तो इसका पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है |
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